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कब रखा जाएगा करवाचौथ का व्रत? जानें तारीख और पूजा विधि

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सुहागन महिलाओं द्वारा रखे जाना वाला बेहद ख़ास व्रत करवाचौथ का पर्व बेहद करीब है। यह एक दिव्य त्यौहार माना जाता है और इस दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बाद चंद्रोदय तक महिलाएं उपवास रखती हैं।

विवाहित महिलायें अपने पति की दीर्घायु और गरिमा के लिए प्रार्थना करती हैं और इस विशेष दिन पर निर्जला व्रत का पालन करती हैं। जानते हैं इस वर्ष किस तारिख को पड़ने वाला है ।

करवाचौथ 2023 की तिथि हिन्दू पंचांग के अनुसार करवाचौथ का व्रत कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन रखा जाता है। इस वर्ष चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर की रात 09:30 बजे से शुरू होगी और अगले दिन यानि 1 नवम्बर की रात 09:19 बजे समापन होगा। उदया तिथि को मानते हुए करवाचौथ का व्रत 1 नवम्बर को रखा जाएगा।

भारत के किन राज्यों में मनाया जाता है यह पर्व? करवा चौथ का पर्व उत्तर भारत के क्षेत्रों में अधिक प्रचलित है। यह मुख्यतः दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल और उत्तराखंड में मनाया जाता है। कई क्षेत्रों में अविवाहित महिलायें भी यह व्रत अच्छे जीवनसाथी की कामना से रखती हैं।

करवा चौथ व्रत का विशेष महत्व करवा चौथ का वैवाहिक जीवन में ख़ास महत्व होता है। इस दिन चंद्रमा को करवा (यानी मिट्टी के बर्तन) से अर्घ्य दिया जाता है। इस व्रत को रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन चंद्रमा के साथ साथ भगवान शिव, मां पार्वती, भगवान कार्तिकेय, और गणेश का पूजन किया जाता है। महादेव शिव और गौरी सुहागनों को सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं।

 

जानें करवा चौथ पूजन सामग्री 

करवा चौथ पूजन में पानी, थाली, मिट्टी के दीपक, चांदी का कटोरा, मिठाई, चांदी का कलश, कुमकुम, रोली, अक्षत, पान, व्रत की कथा के लिए पुस्तक, शक्कर, चंदन, हल्दी, चावल, देसी, देसी घी, इत्र, नारियल, जनेऊ जोड़ा, अबीर, गुलाल, शहद, दक्षिणा, कच्चा दूध, छलनी, कपूर (कपूर के उपाय), गेहूं, बाती, करवा माता की तस्वीर, दीपक, अगरबत्ती, लकड़ी का आसन, हलुआ आदि शामिल करें।

  • सरगी की सामग्री – 16 श्रृंगार का सामान, ड्रायफ्रूट्स, फल, मिठाई आदि।
  • 16 श्रृंगार का सामान – कुमकुम, मेंहदी, महावर, सिंदूर, कंघा, चुनरी, चूड़ी, काजल, बिछुआ आदि।

करवा चौथ पूजा विधि 

करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले यानी कि ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और व्रती महिलाएं संकल्प लें। इसके बाद पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। उसके बाद शाम को चंद्रमा उदय होने पर मां तुलसी के पास भगवान गणेश, भगवान शिव(भगवान गणेश मंत्र) और कार्तिकेय के साथ-साथ चंद्रमा की पूजा करें। चंद्रमा की पूजा कर 7 गोल घुमकर अर्घ्य दिया जाता है। उसके बाद विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। उसके बाद कथा सुने। पूजन करने के बाद महिलाएं अपने पति का चेहरा देखकर निर्जला व्रत तोड़ सकती हैं। करवा चौथ का व्रत व्रती महिलाओं के लिए पतिव्रता, प्रेम और विश्वास का प्रतीक माना जाता है।

पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जाप (Karwa Chauth Mantras)

करवा चौथ की पूजा करने के दौरान इन मंत्रों का जाप जरूर करें। इससे व्रत का पूर्ण फल मिलता है।

व्रत संकल्प मंत्र का करें जाप

  • मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये

गणपति मंत्र का करें जाप

  • ॐ श्रीम गम सौभाग्य गणपतये। वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥

मां पार्वती मंत्र का करें जाप

  • नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्‌। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥

करवा दान करने का मंत्र

  • करकं क्षीरसम्पूर्णा तोयपूर्णमथापि वा। ददामि रत्नसंयुक्तं चिरञ्जीवतु मे पतिः॥

भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें

  • ‘ऊँ अमृतांदाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तत्रो सोम: प्रचोदयात’

कार्तिकेय की पूजा का मंत्र

  • ‘ॐ षण्मुखाय नमः

चंद्रमा की पूजा का मंत्र

  • ‘देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि मे परमं सुखम। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।’

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