हार्दिक पंड्या के इंजर्ड होने के बाद टीम इंडिया में मोहम्मद शमी ने बेहतरीन परफॉर्म दिखाया और हार्दिक की कमी महसूस नहीं होने दी। हार्दिक के बाहर होने से सूर्यकुमार यादव को भी मौका मिला, जिन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 49 रन की अहम पारी खेली। इस पारी ने अगले मुकाबले के लिए टीम में उनकी जगह लगभग पक्की कर दी।
सूर्यकुमार ने एक मैच में फेल होने के बाद की वापिसी – हार्दिक पंड्या 19 अक्टूबर को बांग्लादेश के खिलाफ मैच में इंजर्ड हुए थे, इसके बाद वह न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के खिलाफ नहीं खेल सके। दोनों ही मुकाबलों में उनकी जगह सूर्यकुमार यादव को मौका मिला। न्यूजीलैंड के खिलाफ नंबर 6 पर उतरे सूर्या महज 2 रन बनाकर रन आउट हो गए।
श्रेयस अय्यर का 2 महीने पहले तक वर्ल्ड कप में खेलना भी मुश्किल था, क्योंकि वह इंजर्ड थे, लेकिन उन्होंने समय पर रिकवरी की और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में सेंचुरी लगा दी। वह वर्ल्ड कप के पहले मैच में खाता भी नहीं खोल सके थे, लेकिन अफगानिस्तान और पाकिस्तान के खिलाफ 25 और 53 रन की अहम पारियां खेलीं। दोनों ही बार वह नॉटआउट रहे और टीम को जीत के पार पहुंचाया।
इसके बाद श्रेयस बांग्लादेश के खिलाफ 19 और न्यूजीलैंड के खिलाफ 33 रन ही बना सके। दोनों बार पिच बैटिंग के लिए अच्छी थी, श्रेयस ने स्टार्ट भी अच्छा किया, लेकिन वह बड़ा स्कोर नहीं बना सके। अब इंग्लैंड के खिलाफ भी वह महज 4 रन बनाकर आउट हो गए और टीम दबाव में चली गई।
पिछले 3 मैचों में परफॉर्मेंस के आधार पर श्रेयस को बाहर बैठाना मैनेजमेंट के लिए सबसे आसान रहेगा, लेकिन यहां पेंच यह है कि श्रेयस नंबर-4 पर बैटिंग करते हैं और हार्दिक नंबर-6 पर। अगर श्रेयस बाहर बैठे तो सूर्या या हार्दिक को ऊपर बैटिंग करनी होगी जो टीम के लिए ज्यादा रिस्की फैसला हो सकता है। मैनेजमेंट नंबर-4 पोजिशन के बैटर के लिए सालों से जूझ रहा है, श्रेयस इस पोजिशन पर बेस्ट हैं, ऐसे में इन्हें बैठाने के बारे में टीम सोचेगी, इसकी उम्मीद कम है।
हार्दिक पंड्या एक पेस बॉलर ऑलराउंडर हैं, यानी वह बैटिंग करने के साथ तेज गेंदबाजी भी करते हैं। उनके बाहर बैठने के बाद टीम इंडिया ने प्लेइंग-11 में 2 बदलाव किए। पहला बैटिंग बढ़ाने के लिए सूर्या को एंट्री दी और दूसरा बॉलिंग बढ़ाने के लिए शार्दूल को बैठाकर मोहम्मद शमी को शामिल किया।
शमी ने मौके को दोनों हाथों से भुनाया और न्यूजीलैंड के खिलाफ महज 54 रन देकर 5 विकेट झटक लिए। उन्होंने रचिन रवींद्र, विल यंग और डेरिल मिचेल जैसे टॉप ऑर्डर बैटर्स को पवेलियन भेज दिया। उन्होंने डेथ ओवर्स में भी अच्छी गेंदबाजी की और न्यूजीलैंड को ऑल आउट करने के लिए आखिरी 3 में से 2 बैटर्स को चलता कर दिया।
शमी यहीं नहीं रुके, उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ लो-स्कोरिंग मुकाबले में भी बेहतरीन बॉलिंग की। वह फर्स्ट चेंज बॉलर बन कर आए और अपने दूसरे ही ओवर में बेन स्टोक्स को बोल्ड कर दिया। उन्होंने अगले ओवर में ओपनर जॉनी बेयरस्टो को भी बोल्ड कर इंग्लैंड को बैकफुट पर धकेल दिया। शमी ने मैच में महज 22 रन देकर 4 विकेट लिए और जसप्रीत बुमराह का बखूबी साथ दिया। दोनों की परफॉर्मेंस से टीम ने इंग्लैंड को 100 रन से हराया।
इतनी दमदार परफॉर्मेंस के बाद भी शमी को अगर बाहर बैठाया जाए तो ये नाइंसाफी कही जाएगी। उनकी बस एक कमजोरी है और वो ये कि वह शार्दूल या अश्विन की तरह संभलकर बैटिंग नहीं कर सकते। वह बड़े-बड़े हिट्स लगा लेते हैं, लेकिन ऐसे में विकेट जाने के चांस भी ज्यादा होते हैं, जो वनडे में कम ही मौकों पर कारगर होता है।
हार्दिक का फिट नहीं होना भारतीय टीम का कॉम्बिनेशन बिगाड़ता है। पिछले दो मैचों से भारतीय टीम 6 बैटर, 4 बॉलर और रवींद्र जडेजा के रूप में एक बॉलिंग ऑलराउंडर के साथ खेल रहा है। इससे भारत नंबर-7 तक ही बल्लेबाज उतार पा रहा है। बैटिंग ऑर्डर में नंबर-8 से गेंदबाजों का आना शुरू हो जाता है। जब तक हार्दिक फिट नहीं होते हैं तब तक शार्दूल ठाकुर या रविचंद्रन अश्विन के रूप में कोई एक बॉलिंग ऑलराउंडर लाना भी मुश्किल है।