ग्वालियर. रियासतें भले ही खत्म हो चुकी हों, परन्तु रियासतकालीन परम्पराओं का निर्वाहन आज भी ग्वालियर में जारी है, सिंधिया परिवार ज्योतिरादित्य सिंधियां द्वारा शाही पोशाक में शमी पूजन किया और अपने महल में शाही अंदाज में दरबार भी लगाया. इसके बाद सिंधिया ने कहा कि मेरे देश और राज्य में सुख शांति हो ।
इस दशहरा पर्व के मौके पर पिछले डेढ़ महीने से मेरे राज्य में किसान भाई बाढ़ से प्रभावित रहे हैं. आने वाले समय में उनके जीवन में खुशहाली आए. यही कामना है. साथ ही वसुधैव कुटुम्बकम की तरह मेरे देश में अमन चैन कायम रहे है.
मांढरे की माता के दरबार में पहुंचे सिंधिया
मांढरे की माता का पर राजशाही पोशाक में ज्योतिरादित्य सिंधिया परंपरागत वेश-भूषा में शमी पूजन स्थल मांढरे की माता पर पहुंचे. जहां लोगों से मिलने के बाद शमी वृक्ष की पूजा की गई. इसके बाद म्यांन से तलवार निकालकर जैसे ही शमी वृक्ष को लगाते हैं. वहां काफी तादाद में मौजूद लोग पत्तियां लूटने के लिए टूट पड़ते हैं। लोग पत्तियों को सोने के प्रतीक के रूप में ले जाते हैं।
भारत देश में यूं तो हर त्योहार की छटा निराली होती है, लेकिन ग्वालियर में यदि दशहरे की बात की जाए तो कुछ और है। क्योकि यहां सिंधिया राजपरिवार में दशहरे पर कई परंपराएं हैं, जिसमें सबसे पुरानी है शमी पूजन की प्रथा जो करीब 200 सालों से चली आ रही है।
यह परंपरा 200 साल पुरानी है, लेकिन पारंपरिक रूप में कोई बदलाव नहीं आया है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दशहरे पर अपनी कुल परंपरा के अनुसार सुबह पहले देवघर जाकर विशेष पूजा की।
सुबह निकलती थी सवारी
महल से जुड़े एसके कदम ने बताया कि दशहरे पर शमी पूजन की परंपरा सदियों पुरानी है। उस वक्त महाराजा सुबह तकरीब 8.30 से 9 बजे अपने लाव-लश्कर व सरदारों के साथ महल से निकलते थे। फिर सवारी गोरखी पहुंचती थी। यहां देव दर्शन बाद यहां शस्त्रों की पूजा होती थी। दोपहर तक यह सिलसिला चलता था। महाराज आते वक्त बग्घी पर सवार रहते थे। लौटते समय हाथी के हौदे पर बैठकर जाते थे। शाम को शमी वृक्ष की पूजा के बाद महाराज गोरखी में देव दर्शन के लिए जाते थे।
(3) शाही पोशाक में ज्योतिराज सिंधिया राजा वन की कुलदेवी की पूजा – YouTube
(3) शाही पोशाक में ज्योतिराज सिंधिया राजा वन की कुलदेवी की पूजा 3 – YouTube
(3) शाही पोशाक में ज्योतिराज सिंधिया राजा वन की कुलदेवी की पूजा 4 – YouTube