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सैकडों वर्षो से अग्नि स्नान कर रही है माता इडाणा, रहस्य का आज तक पत नहीं चल पया

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18-10-2023,शक्ति की भक्ति का पावन पर्व नवरात्रि. नो दिन तक देवी मॉ के भक्त माता रानी के अनेक रूपों की पूजा करते है.शक्ति पीठ पर माता के दर्शनों के लिए सैलाब उमडता है. नवरात्रि के दौरान मां देवी की अनेक रूपों की कहानियां सुनने को मिलती है. इसी कडी में आज हम आपको माता रानी के एक अनोखे मंदिर के बारे में बताएंगें जिसे जानकर आप हैरानी में पड जाओगें.दरअसल यह मंदिर उदयपुर जिले के मेवल इलाके में स्थित है. जहा मॉ जब अपने भक्तों पर अत्धिक प्रसन्न होती है तो खुद अग्नि स्नान करती है.

खुली छत के निचे हकती है भक्तों के कष्ट 

उदयपुर से करीब 60 किलो मीटर दूर मेवल क्षेत्र के बम्बोरा गांव के पास स्थित माता ईडाणा का मंदिर.माता ईडाणा के चमत्कार को सून लोग दूर दराज से अपने कष्टों का निवारण करने के लिए माता के दर पर पहूंचते है. मेवल की महारानी के नाम से प्रसिद्ध ईडाना माता का मंदिर अपने आप में कई मायनों में खास है.बरगद के पेड़ के नीचे यहां देवी विराजमान हैं.और इस विशाल मंदिर के गर्भ गृह पर छत नहीं है.सर्दीग,गर्मी बारिश में माता खुली छत के निचे ही भक्तों के कष्टों को हरती है.

कोई नही जानपाता अग्नि स्नान का रहस्य

ईडाणा माता मंदिर के कई चमत्कार है. लेकिन कहा जाता है कि माता जब अपने भक्तों पर बहुत प्रसन्न हो तो वह खुद अग्नि स्नान करती हैं और अगर कोई भक्ता माता के अग्नि स्नान के दर्शन कर ले तो उसके मन की हर मुराद पुरी हो जाती है। माता इडाणा सैकडों वर्षो से अग्नि स्नान कर रही है लेकिन इस रहस्य का आज तक पत नहीं चल पया कि आगर माता की प्रतिमा के पास अग्नी अपने आप कैसे लग जाती है. देखते ही देखते आग शांत भी हो जाती है. माता कब अग्नि स्नान करती है यह भी अब तक रहस्य ही बना हुआ हे. यही नहीं जब माता अग्नि स्नान करती है तो आग की लपटे कई किलो मिटर दूर से दिखाई देते है. लेकिन माता के प्रतिमा के आस पास लगने वाली आग से मंदिर में किसी तहर का नुकसान नहीं हाता है.यही नहीं माता की प्रतिमा भी आग से पुरी तरह से सुरक्षित रहती है.

दर्शन करने मात्र से दूर होते है रोग

देवी मां को लेकर श्रद्धालुओं के मन में गहरी आस्था है. दूर-दूर से श्रद्धालु माता रानी के जयकारे लगाते हुए भक्त यहा आते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में माता के दर्शन करने मात्र से लकवे की बिमारी से मुक्ति मिल जाती है. अगर कोई लकवाग्रस्त व्यक्ति यहां आता है तो वह यहां से स्वस्थ्य होकर लौटता है. यही कारण है कि यहा पर हर रोज भक्तों को ताता लगा हुआ रहता है. इडाणा माता को स्थानीय राजा रजवाड़े अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते आए है. माता के इस मंदिर में श्रद्धालु चढ़ावे में लच्छा चुनरी और त्रिशूल लाते हैं.

हजारों की संख्या  भक्तों की तादात

भक्तों की पीडा को हरने वाली ईडाणा माता के दर पर वैसे तो हर रोज भक्तों का ताता लगा रहता है. लेकिन नवरात्रि के पावन मौके पर यहा आने वाले भक्तों की संख्या हजारों में पहूंच जाती है. माता अपने दर पर आने वाले सभी भक्तों की मनों कामनाओं को पुरा करती है.लेनिक वे भक्त अपने आप को भाग्यशाली मानते है जिन्हे माता अपने अग्नि स्नान के दर्शन करने को मौका देती है.

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