ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय, धन धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।
धनतेरस क्यों मनाया जाता है-
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जिस समय समुद्र मंथन हुआ था, उस समय भगवान धन्वंतरि हाथ में अमृत कलश लेकर समुद्र मंथन से निकले थे। धनतेरस के शुभ अवसर पर धन्वंतरि के साथ-साथ भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी और कुबेर जी की भी पूजा की जाती है। दिवाली का त्योहार धनतेरस से शुरू होता है. चूँकि भगवान गणेश बुद्धि के देवता हैं, देवी माँ लक्ष्मी समृद्धि की देवी हैं, धन्वंतरि पृथ्वी के पहले चिकित्सक हैं, इसलिए वे अच्छे स्वास्थ्य के लिए हैं और कुबेर जी सभी धन के मंत्री हैं।
धनतेरस की महत्ता – Importance of Dhanteras
दीपावली पर्व की शुरुआत धनतेरस के अवसर पर भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा के साथ होती है. पुराणों की मान्यता के अनुसार, जिस समय देवता और असुर समुद्र मंथन कर रहे थे, उसी समय समुद्र मंथन से 14 रत्न निकले थे. इन्हीं में से एक भगवान धनवंतरि धनत्रयोदशी के दिन अपने हाथ में पीतल का अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. यही कारण है कि इस दिन पीतल की वस्तुएं खरीदना बहुत शुभ फलदायी माना जाता है.
एक अन्य मान्यता के अनुसार, धनतेरस के दिन घर में नई चीजें लाने से घर में धन की देवी माता लक्ष्मी और धन के देवता माने जाने वाले भगवान कुबेर का वास होता है. इस दिन नई झाड़ू खरीदना भी अच्छा माना जाता है. इस दिन झाड़ू खरीदने का कारण यह है कि झाड़ू में माता लक्ष्मी का वास माना गया है. अगर धनतेरस पर आप झाड़ू खरीदकर लाते हैं तो कहा जाता है कि घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है. सोना, चांदी और पीतल की वस्तुओं को खरीदना बेहद शुभ माना गया है.
धनतेरस की पौराणिक कथा (Dhanteras Story)
एक बार भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने का विचार किया. यह बात उन्होंने माता लक्ष्मी को बताई तो माता लक्ष्मी ने भी भगवान विष्णु के साथ चलने को कहा. तब विष्णु जी ने लक्ष्मी जी से कहा कि आप मेरे साथ तभी चल सकती हैं, जब मेरी बात मानेंगी. लक्ष्मी जी ने विष्णु जी को स्वीकृति दे दी. फिर वे दोनों पृथ्वी लोक पर विचरण के लिए निकल पड़े. पृथ्वी लोक पहुंचने पर विष्णु जी ने लक्ष्मी जी से कहा कि आप यहीं ठहरकर मेरी प्रतीक्षा करिए. साथ ही एक बात का ध्यान रखने के लिए भी कहा कि जिस दिशा में वे जा रहे थे, देवी लक्ष्मी उस ओर बिल्कुल न देखें. इतना कहकर विष्णु भगवान वहां से चल पड़े.
लक्ष्मी जी ने रुकने का बहुत प्रयास किया, लेकिन उनका मन नहीं माना. वे विष्णु जी के पीछे चल दीं. थोड़ी दूरी पर जाने के बाद उन्होंने सरसों का एक खेत देखा. उस सरसों के खेत में जाकर माता लक्ष्मी ने फूल तोड़े और अपना श्रृंगार किया. तभी विष्णु जी की नजर उन पर पड़ गई और उन्होंने माता लक्ष्मी को श्राप दिया कि तुमने चोरी की है, इसलिए तुम्हें 12 साल तक इस किसान की सेवा करनी होगी.इस श्राप के बाद माता लक्ष्मी किसान के घर चली गईं. वह किसान बहुत निर्धन था. जबलक्ष्मी माता वहां पहुंची तो उन्होंने किसान से कहा कि मैं अब आप ही के घर रहना चाहती हूं. तब किसान ने एक बूढ़ी औरत का रूप धारण किए हुए माता लक्ष्मी को देखकर हां कह दिया. किसान के घर माता लक्ष्मी का वास हो गया और धीरे-धीरे धन से उसका घर परिपूर्ण हो गया. इस प्रकार 12 वर्ष व्यतीत हो गए.
12 वर्ष व्यतीत होने पर भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी को चलने के लिए कहा. तब किसान ने माता लक्ष्मी को विष्णु जी के साथ भेजने से इनकार कर दिया. तब माता लक्ष्मी ने किसान से कहा कि तेरस के दिन घर को अच्छी तरह से साफ करो. घर को साफ करने के बाद रात में घी का दीपक जलाओ. एक तांबे के कलश में रुपए और पैसे भर मेरी पूजा करो. ऐसा करने से मैं साल भर तुम्हारे समीप रहूंगी.
किसान ने ऐसा ही किया और उसके घर पर लक्ष्मी माता का आशीर्वाद बना रहा. तभी से मान्यता है कि तेरस के दिन धन की देवी की पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. तभी से यह धनतेरस का त्योहार मनाया जाने लगा.
धनतेरस पूजा सामग्री (Dhanteras Puja Samagri List)
– पानी से भरा कलश
– 1 पूजा की सुपारी
– 21 कमलगट्टे
– प्रसाद के लिए फल और मिठाई
– पान का पत्ता
– लौंग
– कपूर
– रोली
– अक्षत
– फूल-माला
– धूप-दीप
– चंदन
– हल्दी
धनतेरस 2023 पूजा का शुभ मुहूर्त (Dhanteras 2023 Puja Shubh Muhurat)
10 नवंबर, शुक्रवार को धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त रात 05:47 से 07:43 तक रहेगा। यानी उसकी कुल अवधि 01 घण्टा 56 मिनट की रहेगी। इस दिन शुभकर्तरी, वरिष्ठ, सरल, सुमुख और अमृत नाम के 5 शुभ योग बनेंगे, जिसके चलते इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है।
धनतेरस पूजा कैसे करें – Dhanteras ki Puja Kaise Karen
1. पूजा करने से पहले स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
2. इसके बाद एक साफ चौकी पर गंगाजल छिड़क कर उस पर पीला या लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
3. इस कपड़े पर प्रभु श्री गणेश, माता लक्ष्मी, मिट्टी का हाथी, भगवान धनवंतरि और भगवान कुबेर जी की मूर्तियां स्थापित करें।
4. सर्वप्रथम गणेश जी का पूजन करें, उन्हें पुष्प और दूर्वा अर्पित करें।
5. इसके बाद हाथ में अक्षत लेकर भगवान धनवंतरि का मनन करें।
6. अब भगवान धनवंतरि को पंचामृत से स्नान कराकर, रोली चंदन से तिलक कर उन्हें पीले रंग के फूल अर्पित करें।
7. फूल अर्पित करने के बाद फल और नैवेद्य अर्पित कर उन पर इत्र छिड़ककर भगवान धनवंतरि के मंत्रों का जाप कर उनके आगे तेल का दीपक जलाएं।
8. देवी लक्ष्मी को कमल गट्टे विशेष रूप से चढ़ाएं। पूजा के समय कुबेर जी के मंत्र ‘ॐ ह्रीं कुबेराय नमः’ का जाप करें।
9. इसके बाद धनतेरस की कथा पढ़ें और धनतेरस की आरती करें।
10.अब भगवान धनवंतरि को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाकर माता लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा भी करें।
11. पूजा समाप्त करने के बाद घर के मुख्य द्वार के दोनों और तेल का दीपक जरूर जलाएं।